Tuesday, 16 June 2020

Yoga benefits (योग के लाभ)

योग जीने की कला है और योगासन एक वैज्ञानिक पध्दति यही एक व्यायाम है जो हमारे आंतरिक शरीर पर प्रभाव डालता है।शरीर और मन का स्वस्थ रहना हमारे अंदर के अंगों हदय, फेफडे ,पाचन संस्थान ,ग्रंथियां, मस्तिष्क नाडीयों  कि स्वस्थ व सक्रिय रहने पर निर्भर करता है।यदि अंदर के अंग सक्रिय हैं और शरीर की प्रतिरोधक  शक्ति काम कर रही है। तो दवा से भी काम लिया जा सकता है। नहीं तो वह  भी विष छोड़ जाती है। रोगी को और कई नए रोगी दे जाती है।

शरीर के अंदर की शक्ति को जगाने का काम योगासन व अन्य योग क्रियाओं कर सकती हैं ।योगासन करते समय हम अपने शरीर को तोड़ते मरोडते हैं। शरीर को तानते और ढीला करते हैं जिससे हमारी रक्त नलिकाए साफ व शुद्ध होती है जिससे हृदय को सारे शरीर को शुद्ध रक्त पहुंचाने और विकार युक्त को वापस हृदय में लाने में सुविधा होती है।हृदय हर वक्त काम करता रहता है। उसे आराम करने का बिल्कुल भी समय नहीं मिलता है। 24 घंटे में 8000 लीटर रक्त शरीर में पंप करता है। वह उतने ही विकार युक्त  रक्त को वापस लेता है और उसे शुद्ध होने के लिए फेफड़ों में भेजता है। शुद्ध होकर रक्त वापस हृदय में आता है। यह चक्र 15 सेकंड का  जब तक हम जीवित रहते हैं तब तक चलता है।
हम दिन भर काम करते हुए थक जाते हैं तो आराम करते हैं। रात को 6 से 8 घंटे सोते पर हदय और फेफडे तब भी काम करते रहते हैं, वह आपके अधीन नहीं है। आप उन्हें आराम करने के लिए कह भी नहीं सकते हैं।  हदय को भीआराम चाहिए और उसे आराम देने का केवल एक ही तरीका है कि रक्त नलिका को साफ रखा जाए।ताकि वे सुविधा पूर्वक सारे शरीर में रक्त संचालन कर सके तथा शरीर को दूषित रक्त फेफड़ों में शुद्ध होने के लिए भेज सकें। साथ ही ,यह काम उसे धक्का लगा कर ना करना पड़े ,जहां शुद्ध रक्त जाएगा। वह अंग पुष्ट होंगे। सक्रिय होंगे, रोग मुक्त होंगे !परंतु आज हृदय रोग ही सबसे अधिक हो रहा है। हदय को धक्के लगाकर काम करना पड़ रहा है जिससे ना तो रक्त शुद्ध शरीर के हर अंग तक पहुंचते हैं और ना ही वहां से विकार निकल पाते हैं। इसका कारण है कि लोगो में रोग और तनाव बढ़ते जा रहे हैं।

योगासन व प्राणायाम से हमारी रक्त नलिका ए शुद्ध हो जाती है। फेफड़े खुल जाते हैं। मांसपेशियों में लचक आ जाती है जिससे उनके फैलने और सिकुड़ने कि शक्ति बढ़ जाती है, उनकी अधिक ऑक्सीजन ले पाने की क्षमता बढ़ जाती है और वह शरीर के विकार को जलाकर कार्बन डाइऑक्साइड गैस के रूप में बाहर कर पाते हैं।

फेफड़ों में 16 से 18 करोड़ छिद्र हैं जिनमें रक्त आकर भरता है। इसकी शुधि ऑक्सीजन से होती है। जितनी अधिक ऑक्सीजन हम ले पाएंगे व फेफड़ों के अंतिम छिद्रों तक जाएगी और उतना ही अधिक रक्त शुद्ध होगा। जितना अधिक रक्त शुद्ध होगा, विकार मुक्त होगा। उतनी अधिक उसकी दौड़ बढ़  जाएगी और हदय को उसे सारे शरीर में पहुंचाने में सुविधा होगी।

योगासन से हम अपने शरीर की सफाई करते हैं, उसे अनुशासित करते हैं। प्रतिदिन नियमित रूप से योगासन करने से शरीर के विकार मुक्ति के चारों मार्ग, नासिका, त्वचा लिंग और गुदा सक्रिय रहते हैं। विकार शरीर में रुकता नहीं, शरीर  स्वस्थ व शिथिल रहता है और मन शांत रहता है।

योगासनों से हम अपने पाचन संस्थान को स्वस्थ करते हैं। पाचन रस पूरी तरह से निकलते हैं जिससे भूख लगती है। क्लोम ग्रंथि  सक्रिय होती है। खाया हुआ भोजन पूरी तरह पचता है जिससे शरीर को आवश्यक शक्ति मिलती है और वह रोगों से अपने को बचाने में सक्षम रहता है।

योगासन ही एक ऐसा व्यायाम है जिससे रीढ़ की हड्डी में लचक पैदा की जा सकती है। दूसरे ऐसा कोई भी काम नहीं है जिससे मेरुदंड में लचक आ सके। आसनो में हम शरीर को आगे -पीछे ,दाएं -बाएं मोड़ते हैं, जिससे रीढ में लचक पैदा होती है जिससे शक्ति के केंद्र चक्र प्रभावित होते हैं। हमारा मेरुदंड 26 हड्डियों के जोड़ों से बना है।विज्ञान मेरुदंड को तीन भागों में विभाजित करता है। ऊपर का भाग जब गर्दन से जुड़ा है उसे सर्वाइकल रीजन कहते हैं। इसमें 7 हड्डी होते हैं। बीच का भाग जो पसलियो से जुड़ा होता है उस पर 12 हड्डी  होते हैं। डोर सील रीजन कहते हैं। नीचे के भाग को लंबा रीजन कहते इसमें 7 हड्डी होते हैं।

योगासनों से हमारा मस्तिष्क तथा संपूर्ण नारी मंडल शिथिल व सक्रिय होता है। योगासन धीरे-धीरे करने वाली क्रियाएं हैं। आंसनों में हम अपने शरीर को पूरी तरह चाहते व खींचते हैं और पूर्ण स्थिति तक जाते हैं।फिर शरीर को ढीला छोड़ते हैं, शवासन करते हैं। ऐसा करने से नाडिया तनावमुक्त और कार्यशील होती है। प्राणायाम से भी हमारी नाडिया शुद्ध व शांति होती है। मन स्थिर होता है, आत्मविश्वास बढ़ता है।

जब शरीर स्वस्थ होगा, मन शांत होगा, तभी भीतर की शक्तियां जागेगी। चक्र खुलेंगे। मन एकाग्र होगा। जब मन एकाग्र होगा तो काम करने की शक्ति बढ़ जाएगी। काम करने में सफलता मिलेगी। समस्याओं के भागेंगे नहीं, उनका सामना करने की शक्ति आ जाएगी। व्यक्ति सकारात्मक सोचने विचारने लगेगा। कार्य शक्ति सही दिशा में बहने लगेगी। जीवन का मूल रूपांतरण हो जाएगा। जब काम करने की दिशा ही ठीक हो जाएगा और काम में सफलता मिलने लगेगी तो मन पर संसद से भर उठेगा। यदि यह प्रशंसा बनी रही तो आनंद का रूप ले लेगी। आनंद का दूसरा नाम है, परमात्मा है। आपकी आत्मा परमात्मा बन जाएगी। इसी का नाम योग है।आप जिस भी कार्यक्षेत्र में हो उसे कोई अंतर नहीं पड़ता। आप निरंतर प्रयास से योग की अवस्था में बने रह सकते हैं। आवश्यकता है इस संबंधित क्रियाओं को विश्वास श्रद्धा मनोयोग से करने की सही साधना है योग साधना।
































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English Translation 



Yoga is the art of living and yoga is a scientific method that is an exercise that affects our inner body.Staying healthy of body and mind depends on the healthy and active organs of our organs, lungs, digestive institutions, glands and brain.If the internal organs are active and the body's immune system is working.  So medicine can also be used.  Otherwise she also gives up poison.  Many more new disease  are given to the patient.

Yogasan and other yogic activities can be done to awaken the power inside the body.While doing yoga yoga, we break our body and die.  Tightens and loosens the body by which our blood vessels are clean and pure, which facilitates the heart to deliver pure blood to the whole body and bring the disorderly person back to the heart.heart has to work all the time.  In 24 hours, 8000 liters of blood is pumped into the body.  He withdraws the blood containing the same disorder and sends it to the lungs to be purified.  Blood comes back to the heart after being purified.  This 15 second cycle lasts for as long as you live.

If we are tired while working all day, then we relax. Heart and lungs still work for 6 to 8 hours at night, he is not under you.  You can't even ask them to rest.  Haday also needs rest and the only way to give him rest is to keep the blood vessel clean.So that they can conveniently conduct blood throughout the body and send contaminated blood to the body to be purified in the lungs.  Also, it does not have to be done by pushing it, where pure blood will go.  Those organs will be strengthened.  Will be active, will be disease free.But today heart disease is happening the most.  Haday has to work by pushing it so that neither the blood reaches every part of the pure body nor can there be any disorder.  The reason for this is that diseases and stress are increasing in people.

With Yogasan and Pranayama, our blood vessel A gets purified.  Lungs open.  Muscles become supple which increases their strength to stretch and shrink, increases their ability to take more oxygen and they burn out the body's disorder in the form of carbon dioxide gas.

There are 16 to 18 crore holes in the lungs in which blood comes and fills.  It is purified with oxygen.  The more oxygen we will be able to take and go to the last pores of the lungs and the more blood will be purified.  The more blood is purified, the more the disorder will be free.  The more his race will increase and Haday will be able to take him all over the body.

With Yogasan we clean our body, we discipline it.  By doing yoga yoga regularly every day, all four routes to rid the body of the disorder, nose, skin, penis and anus remain active.  The disorder does not stop in the body, the body remains healthy and relaxed and the mind remains calm.

With yogasanas we make our digestive institution healthy.  Digestive juices are completely excreted leading to hunger.  The clome gland is activated.  The food eaten is fully digested due to which the body gets the necessary strength and is able to protect itself from diseases.
Yogasana is one such exercise that can produce flexibility in the spine.  Secondly, there is no such thing that can bring flexibility in the spine.  In the posture, we bend the body forward - backward, right - left, causing flexibility in the back, which affects the center chakra of power.  Our spine is made up of 26 bone joints.Science divides the spine into three parts.  The upper part, which is connected to the neck, is called cervical region.  It consists of 7 bones.  The middle part which is attached to the ribs has 12 bones on it.  The door seal region says.  The bottom part is called long region and it has 7 bones.

With Yogasanan our brain and the entire feminine system are relaxed and active.  Yogasanas are slowly performing actions.  In tears, we want and pull our body completely and go to full position.Then leave the body loose, embalming.  By doing this, Nadia is relaxed and functioning.  Our nadia is also pure and peaceful with pranayama.  Mind is stable, confidence increases.

When the body is healthy, the mind is calm, then the inner powers will be awakened.  The cycle will open.  The mind will concentrate.  When the mind is concentrated, the power to work will increase.  Will get success in working.  Problems will not run away, power will come to face them.  The person will start thinking positively.  The work force will start flowing in the right direction.  The basic transformation of life will take place.  When the direction of working will be corrected and success in work will start, then the mind will be filled with Parliament.  If this praise remains, it will take the form of bliss.  Anand has another name, God.  Your soul will become divine.  This is called Yoga.Whatever field you are in, it does not matter.  You can remain in the state of yoga with continuous effort.  There is a need to practice this related activities with faith, devotion, manoga, and the right practice is yoga practice.






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