कपालभाती एक क्रिया है। इससे शरीर की सफाई होती है। पाणायाम आरंभ करने से पहले कपालभाति करना चाहिए ताकि शरीर की सारी विषैले तत्व बाहर निकल जाए।कपालभाति करने से सूर्य नाड़ी सक्रिय होते हैं कपालभाति षटकरम का हिस्सा है। इसे करने के बाद जब पाणायाम कपालभाति षटकरम का हिस्सा है। इसे करने के बाद जब पाणायाम करते हैं तो पाणायाम का असर ज्यादा अच्छी तरह से होता है।कपालभाति षटकरम का हिस्सा है। इसे करने के बाद जब पाणायाम करते हैं तो पाणायाम का असर ज्यादा अच्छी तरह से होता है कपालभाति षटकरम का हिस्सा है। इसे करने के बाद जब पाणायाम करते हैं तो पाणायाम का असर ज्यादा अच्छी तरह से होता है।करते हैं तो पाणायाम का असर ज्यादा अच्छी तरह से होता है।
सामान्य श्वसन करते समय स्वास्थ्य लेना सरल होता है लेकिन स्वास्थ्य को छोड़ने में थोड़ा फोर्स लगता है।लेकिन जब प्रणाम करते हैं तो स्वास लेना फोर्स के साथ होता है। श्वास छोड़ना सामान्य होता है।
विधि
ध्यान के किसी आरामदायक आसन में बैठ जाएं जैसे (पद्मासन ,सिद्धासन ,अरधपदमासन, )
सिर और मेरूदण्ड को सीधा रखते हुए हाथों को घुटनेा पर चिन या जान मुद्रा में रखें। आंखें बंद कर ले। पूरे शरीर को शिथिल करें। उदर को फैलाते हुए दोनों नासिका छिद्रों से गहरी श्वास लें और उदर की पेशियों को बलपूर्वक संकुचित करते हुए स्वास्थ्य छोड़ें।किंतु अधिक जोर ना लगाएं। सांस ले सामान्य रूप से। ऐसा ही करे
30: 40 :50 का 3 राउंड करें।
सिर और मेरूदण्ड को सीधा रखते हुए हाथों को घुटनेा पर चिन या जान मुद्रा में रखें। आंखें बंद कर ले। पूरे शरीर को शिथिल करें। उदर को फैलाते हुए दोनों नासिका छिद्रों से गहरी श्वास लें और उदर की पेशियों को बलपूर्वक संकुचित करते हुए स्वास्थ्य छोड़ें।किंतु अधिक जोर ना लगाएं। सांस ले सामान्य रूप से। ऐसा ही करे
30: 40 :50 का 3 राउंड करें।
श्वसन : यह आवश्यक है कि इन विधियों में श्वसन उदर से हो वक्ष से नहीं।
सावाधानी : यदि दर्द का अनुभव हो या चक्कर आने लगे तो अभ्यास बंद कर दे और थोड़ी देर शांत होकर बैठ जाए। जब यह संवेदना समाप्त हो जाए। तब अधिक सजगता के साथ और कम जोर लगाकर अभ्यास पुनः आरंभ करें। यदि समस्या बनी रहती है तो किसी योग शिक्षक से परामर्श जरूर ले।
सीमाए : हदय रोग, उच्च रक्तचाप ,चक्कर आना, मिर्गी, दौरे पड़ना, हर्निया या गैस्ट्रिक अल्सर से पीड़ित व्यक्तियों के लिए यह अभ्यास वर्जित है।
लाभ
कपालभाती इडा और पिगला नाड़ियों को शुद्ध करता है। यह मानसिक कार्यों के लिए मन को ऊर्जा प्रदान करता है। निद्रा को दूर भगाने और मन को ध्यान के अभ्यास के लिए तैयार करता है। भस्त्रिका की तरह फेफड़े को स्वच्छ करने की क्षमता कपालभाती में भी है। इसलिए यह दमा वातस्फीति ,ब्रोंकाइटिस से पीड़ित व्यक्तियों के लिए एक उत्तम अभ्यास है। कुछ महीनों की सही तैयारी के बाद प्रसव के समय स्त्रियों के लिए यह प्रभावी अभ्यास हो सकता है।यह तंत्रिका तंत्र में संतुलन लाता है और उसे मजबूत बनाता है। साथ ही पाचन तंत्र के अंगों को पुष्ट बनाता है। अध्यात्मिक साधकों के लिए यह अभ्यास विचारों एवं सूक्ष्म दृश्यों को रोकता है।
English translation..............................
Kapalbhati is a Kriya. This cleanses the body. Kapalabhati should be done before starting Panayam so that all the toxic elements of the body released.Performing Kapalbhati activates the Sun pulse Kapalbhati is a part of Shatkaram. After doing this, when doing Panayam, the effect of Panayam is more well.
Taking health while doing normal respiration is simple but it takes a little force to leave health.But when we salute, the breath is with the force. Breathing is normal.
METHOD
Sit in a comfortable posture of meditation such as (Padmasana, Siddhasana, Aradhapadamsana,)
Keeping the head and spinal cord straight, keep the hands in a chin or life posture at the knee. Close your eyes. Relax the whole body. Breathe deeply through both nasal cavities while spreading the abdomen and release health by forcefully narrowing the abdominal muscles.But do not force too much.Breathe normally inhale
Do 3 rounds of 30: 40: 50.
Breathing:It is necessary that in these methods the respiration is from the abdomen and not from the thorax.
CoUTion : If you experience pain or feel dizzy, stop the practice and sit down for a while. When this sensation ceases. Then resume the exercise with more alertness and less emphasis. If the problem persists, please consult a yoga teacher.
Limitations :This practice is prohibited for persons suffering from cardiovascular disease, high blood pressure, dizziness, epilepsy, seizures, hernia or gastric ulcer.
Benefit
Kapalbhati purifies the Ida and Pigla channels. It provides energy to the mind for mental tasks. Removing sleep and prepares the mind to practice meditation.
Benefit
Kapalbhati purifies the Ida and Pigla channels. It provides energy to the mind for mental tasks. Removing sleep and prepares the mind to practice meditation.
Like Bhastrika, Kapalbhati also has the ability to cleanse the lungs. Hence this asthma emphysema,Is a best practice for people suffering from bronchitis. After a few months of proper preparation, it can be an effective practice for women at the time of delivery.It brings balance to the nervous system and makes it strong. Also makes the organs of the digestive system athletic.For spiritual seekers, this practice prevents thoughts and subtle scene.